धरती
मै बताता हूँ.
धरती ने इक आग का गोला
निगल लिया था
और
वो जलती रही
भीतर ही भीतर.
ताकि
तुम पर आंच ना आये.
पर उसकी छाती को
इतना न कोंचो
कि
वो उगलने पर
मजबूर हो जाये.
- वाणभट्ट
एक नाम से ज्यादा कुछ भी नहीं...पहचान का प्रतीक...सादे पन्नों पर लिख कर नाम...स्वीकारता हूँ अपने अस्तित्व को...सच के साथ हूँ...ईमानदार आवाज़ हूँ...बुराई के खिलाफ हूँ...अदना इंसान हूँ...जो सिर्फ इंसानों से मिलता है...और...सिर्फ और सिर्फ इंसानियत पर मिटता है...
हर तरफ़ चुनाव का माहौल है. छोटी-छोटी मोहल्ला स्तर की पार्टियां आज अपना-अपना घोषणापत्र ऐसे बांच रहे हैं मानो केन्द्र में सरकार इनकी ही बनने व...
सही बात है.. किसी भी चीज़ की अति खराब ही होती है और अगर वो प्रकृति से जुड़ी हो तो भयंकर हो सकती है,...
जवाब देंहटाएंतीन साल ब्लॉगिंग के पे आपकी टिपण्णी का इंतज़ार है
आभार